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Here is an essay on ‘Bureaucracy’ especially written for school and college students in Hindi language.
Essay # 1. नौकरशाही का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Bureaucracy):
‘नौकरशाही’ शब्द अंग्रेजी के ‘ब्यूरोक्रेसी’ (Bureaucracy) का हिन्दी अनुवाद है । ‘ब्यूरोक्रेसी’ की व्युत्पत्ति फ्रांसीसी शब्द ‘ब्यूरो’ (Bureau) से हुई है जिसका अर्थ है ‘मेज’ अथवा ‘डेस्क’ । फ्रांस में डेस्क पर ढँके कपड़े को ‘कुरल’ कहा जाता था । इससे निर्मित ब्यूरो शब्द सरकारी कार्यों का द्योतक है ।
शनै:- शनै: जहाँ कहीं भी सरकार का संकुचित दृष्टिकोण एवं स्वेच्छाचारिता नजर आती थी वहाँ ‘नौकरशाही’ शब्द प्रयुक्त किया जाने लगा ।
एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका के अनुसार- ”जिस प्रकार तानाशाही का अर्थ तानाशाह का तथा प्रजातन्त्र का अर्थ जनता का शासन होता है उसी प्रकार ब्यूरोक्रेसी का अर्थ ब्यूरो के शासन से है ।”
जॉन ए. व्हिग (John A. Vieg) के शब्दों में- “विकृत्ति एवं परिहास के कारण ‘ब्यूरोक्रेसी’ शब्द का अर्थ कार्य में गड़बड़ी मनमानी अतिव्यय हस्तक्षेप तथा वर्गीकरण माना जाने लगा है ।”
कॉर्ल जे. फ्रेडरिक के अनुसार- ”नौकरशाही उन लोगों के पदसोपन, कार्यों के विशेषीकरण त था उच्च स्तरीय क्षमता से युक्त संगठन है जिन्हें इन पदों पर कार्य करने के लिये प्रशिक्षित किया गया है ।”
पॉल एपिलबी के मतानुसार- ”नौकरशाही प्राविधिक दृष्टि से योग्य कर्मचारियों का एक ऐसा संगठित वर्ग है जिसका संगठन पदसोपानीय व्यवस्था के अनुसार किया जाता है ।”
हेराल्ड लास्की के अनुसार- ”नौकरशाही एक ऐसी प्रशासनिक व्यवस्था है जिसमें ‘यन्त्रवत् कार्य के लिये उत्कण्ठा, नियमों के लिये लोचशीलता का बलिदान, निर्णय लेने में देरी और नवीन प्रयोगों का अवरोध, रूढ़िवादी दृष्टिकोण आदि बातें प्रभावशाली रहती हैं ।”
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ड्यूबिन (Dubin) के मतानुसार- ”नौकरशाही तब अस्तित्व में आती है जबकि निदेशन के लिये बहुत सारे लोग होते हैं । ज्यों-ज्यों संगठन का आकार बढ़ता है त्यों-त्यों यह आवश्यक हो जाता है कि निर्देश के लिये कुछ कार्य हस्तान्तरित कर दिये जायें । यह नौकरशाही के उदय की पहली शर्त है ।”
माईकल क्रोजियर के शब्दों में- ”नौकरशाही व्यवहार में धीमापन प्रक्रिया की जटिलता रुटीन प्रकृति और प्रशासनिक संगठन के सदस्यों अथवा सेवित व्यक्तियों के लिये कुण्ठाजनक वातावरण आदि बातें शामिल की जाती हैं । ”
उपर्युक्त परिभाषाओं को देखकर स्पष्ट हो जाता है कि अधिकांश विद्वानों ने नौकरशाही को एक नकारात्मक धारणा के रूप में प्रस्तुत किया है । नौकरशाही प्रशासन का एक ऐसा स्वरूप है जो अधिकारियों की स्वेच्छाचारिता को व्यक्त करता है ।
Essay # 2. नौकरशाही के प्रकार (Types of Bureaucracy):
एफ. एम. मार्क्स ने नौकरशाही के निम्नलिखित चार प्रकार बताए हैं:
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(i) अभिभावक नौकरशाही (Guardian Bureaucracy):
यह नौकरशाही जनहित की भावना से प्रेरित होती है ।
मार्क्स ने इस नौकरशाही के दो उदाहरण प्रस्तुत किये हैं:
(a) चीनी नौकरशाही (शुंगकाल से 960 तक),
(b) प्रशा की नौकरशाही (सन् 1640 से 1950 तक) ।
यह नौकरशाही परम्परावादी एवं रूढ़िवादी प्रकृति की मानी जाती है । इस प्रकार की नौकरशाही न्यायपूर्ण एवं लोक हितकारी होने के साथ-साथ अनुत्तरदायी भी होती है ।
(ii) जातीय नौकरशाही (Caste Bureaucracy):
राजनीतिक एवं प्रशासनिक सत्ता एक ही वर्ग विशेष के हाथों में होने पर जातीय नौकरशाही अस्तित्व में आती है । इस प्रकार की नौकरशाही का आधार एक वर्ग विशेष होता है । नौकरशाही में केवल उन्हीं व्यक्तियों को स्थान दिया जाता है जो उच्चतर वर्गों से सम्बन्धित होते हैं । प्राचीन रोमन साम्राज्य एवं जापान का मैजी संविधान इसी प्रकार के उदाहरण हैं ।
(iii) संरक्षक नौकरशाही (Patronage Bureaucracy):
इसमें लोक सेवकों की नियुक्ति राजनीतिक सम्बन्धों के आधार पर की जाती है । विजयी राजनीतिज्ञ अपने समर्थकों को ऊँचे पदों पर नियुक्त करते हैं । राजनेताओं द्वारा प्रशासनिक मशीनरी पर नियन्त्रण करने के लिये ऐसा किया जाता है । इसका दूसरा नाम ‘लूट पद्धति’ है । अमेरिका में इसी प्रकार की नौकर शाही पाई जाती है ।
इसमें लोक सेवकों की शैक्षणिक एवं व्यावसायिक योग्यता पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है वरन् उनसे सत्ताधारी दल की नीतियों व कार्यक्रमों के प्रति प्रतिबद्धता की माँग की जाती है उनका मुख्य कार्य राजनीतिक नेतृत्व को प्रसन्न रखना होता है ।
(iv) योग्यता पर आधारित नौकरशाही (Merit based Bureaucracy):
इसमें लोक सेवकों का चयन योग्यता के आधार पर किया जाता है योग्यता की जाँच हेतु परीक्षाएँ आयोजित की जाती हैं । आधुनिक लोकतन्त्रों में इसी प्रकार की नौकरशाही पाई जाती है । इसमें राजनीतिक नीतियों के प्रति प्रतिबद्धता के स्थान पर देश के संविधान एवं कर्त्तव्य के प्रति सजगता देखने को मिलती है ।
Essay # 3. नौकरशाही की विशेषताएं (Characteristics of Bureaucracy):
वर्तमान में नौकरशाही की निम्नलिखित विशेषताएं परिलक्षित होती हैं:
(i) शासन व्यवस्था का अनिवार्य अंग:
कोई भी प्रशासन लोकसेवा के बिना अपने उद्देश्यों को प्राप्त नहीं कर सकता है । नौकरशाही का अस्तित्व किसी भी प्रकार के समाज में हो सकता है । यह किसी भी शासन व्यवस्था का अनिवार्य अंग है ।
(ii) निश्चित नियम:
प्रशासकीय संगठनों में सभी कार्य निश्चित नियमों के आधार पर सम्पादित किये जाते हैं । निश्चित नियमों के तहत कार्यों को उचित विधि से सम्पादित करने हेतु कुछ अधिकार सौंपे जाते हैं । इन अधिकारों की अपनी कुछ-सीमाएँ भी होती हैं ।
(iii) प्रशिक्षित कार्यकर्त्ता:
वर्तमान नौकरशाही के कार्यकर्त्ता व्यावसायिक प्रवृत्ति के होने के कारण योग्य एवं प्रशिक्षित होते हैं । इन प्रशासकों का चयन भी ‘योग्यता-परीक्षा’ के आधार पर ही किया जाता है । ऐसे में नौकरशाहों का योग्य व कुशल होना स्वाभाविक ही है ।
(iv) पदसोपान व्यवस्था:
नौकरशाही तन्त्र में संगठन एक पिरामिड के रूप में होता है । प्रत्येक अधीनस्थ कर्मचारी अपने उच्चाधिकारी के नियन्त्रण व निर्देशन में कार्य करता है तथा उसी के प्रति उत्तरदायी होता है । इस व्यवस्था से संगठन में एक बड़ी सीमा तक अनुशासन एवं उत्तरदायित्व की भावना बनी रहती है ।
(v) कार्य-विभाजन:
नौकरशाही की पदसोपानीय व्यवस्था में कार्यों का स्पष्ट विभाजन होता है । यह विभाजन वैधानिक एवं तार्किक आधार पर किया जाता है प्रत्येक कार्मिक के कर्त्तव्यों एवं अधिकारों का विभाजन वैधानिक आधार पर किया जाता है ।
(vi) लिखित कार्यवाही:
नौकरशाही की एक विशेषता यह है कि इसमें समस्त कार्य लिखित दस्तावेजों के रूप में होता है । निर्णय भी लिखित में दिये जाते हैं । नियम, अधिकार, कर्तव्य, क्रियान्वयन, निरीक्षण एवं निर्णय सभी कुछ लिखित में होता है ।
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(vii) स्थायित्व:
राजनीतिक कार्यपालिका के सदस्य एक निश्चित समय के बाद पदमुक्त हो जाते हैं किन्तु लोक सेवक पद-मुक्त होने तक अपने पद पर बने रहते हैं । राजनीतिक कार्यपालिका के हटने से इनकी स्थिति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है ।
(viii) निश्चित वेतन:
नौकरशाही तन्त्र में कर्मचारियों को उनकी योग्यता व पद के अनुसार निर्धारित वेतन दिया जाता है । इसके अतिरिक्त अन्य सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई जाती हैं ।