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Read this essay in Hindi to learn about the meaning and approaches of administration in a state.
Essay # 1. प्रशासन का अर्थ (Meaning of Administration):
‘लोक प्रशासन’ दो शब्दों ‘लोक’ एवं ‘प्रशासन’ से निर्मित है जिसमें ‘लोक’ विशेषण (Adjective) का कार्य करता है तथा ‘प्रशासन’ संज्ञा (Noun) है । लोक प्रशासन के अर्थ को समझने से पूर्व इन दोनों शब्दों का पृथक् पृथक् अर्थ समझ लेना आवश्यक है ।
सर्वप्रथम संज्ञा के रूप में प्रयुक्त ‘प्रशासन’ शब्द का अर्थ समझ लेना अधिक उपयुक्त होगा । ‘प्रशासन’ शब्द मूल रूप से संस्कृत भाषा का शब्द है जो कि ‘प्र’ उपसर्ग + ‘शास’ धातु से निर्मित है तथा इसका तात्पर्य है उत्कृष्ट (Excellent) रीति से शासन संचालित करना । प्रशासन के लिये अंग्रेजी में ‘एडमिनिस्ट्रेशन’ शब्द का प्रयोग किया जाता है ।’
‘एडमिनिस्ट्रेशन’ शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के दो शब्दों ‘एड’ (Ad) तथा ‘मिनिस्ट्रेट’ (Ministrate) से हुई है जिसका अर्थ सेवा सम्बन्धी कार्यों को करने से है । वस्तुत: ‘प्रशासन’ में शासन व सेवा दोनों का ही भाव निहित है ।
सामान्यतया प्रशासन को विभिन्न सन्दर्भों के आधार पर निम्नलिखित चार अर्थों में प्रयुक्त किया जाता है:
(1) मंत्रिमण्डल शब्द के पर्यायवाची के रूप में अर्थात् नेहरू-प्रशासन, इन्दिरा-प्रशासन, बुश-प्रशासन आदि ।
(2) सामाजिक विज्ञान की एक शाखा के रूप में ।
(3) सार्वजनिक नीतियों की क्रियान्विति हेतु प्रयुक्त की जाने वाली क्रियाओं के योग के रूप में ।
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(4) प्रबन्ध की कला के रूप में ।
इन चारों अर्थों में साम्यता स्थापित न हो पाने के कारण प्रशासन की एक सर्वमान्य परिभाषा दे पाना एक कठिन कार्य रहा है ।
यही कारण है कि विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रशासन की भिन्न-भिन्न परिभाषाएँ प्रस्तुत की जाती रहीं हैं:
लूथर गुलिक के मतानुसार- ”प्रशासन का सम्बन्ध उद्देश्य की प्राप्ति हेतु कार्यों को संपादित कराने से है ।”
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नीग्रो के अनुसार- ”प्रशासन लक्ष्य की प्राप्ति के लिये मनुष्य तथा सामग्री का संगठन एवं प्रयोग है ।”
हार्वे वॉकर के शब्दों में- ”सरकार कानून को लागू करने के लिये जो कार्य करती है वह प्रशासन कहलाता है ।”
डॉ. ह्वाइट के अनुसार- ”प्रशासन किसी निश्चित लक्ष्य या उद्देश्य की प्राप्ति हेतु अनेक व्यक्तियों के निर्देशन नियन्त्रण तथा समन्त्रीकरण की कला है ।”
एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका के अनुसार- ”प्रशासन का अर्थ किसी भी कार्य को करने अथवा कार्यों का प्रबन्ध करने से लिया जाता है । कानून में यह शब्द विशेषकर किसी मृतक व्यक्ति की सम्पत्ति के सम्बन्ध में आता है । अधिकतर इसका अर्थ सरकार और विशेषकर कार्यपालिका एवं उससे सम्बन्धित शासन से होता है ।”
प्रो. विलोबी ने प्रशासन के अर्थ को व्यापक रूप से समझाते हुए लिखा है कि- ”राजनीतिशास्त्र में प्रशासन शब्द को दो अर्थों में प्रयुक्त किया जाता है । अपने विस्तृत रूप में यह किसी सरकार के विशेष विभाग से सम्बन्धित हुए बिना सरकार के वास्तविक कार्यों का बोध कराता है । यह कथन उपयुक्त होगा कि सरकार के कार्यकारिणी विभाग के प्रशासन, न्याय व न्यायिक कार्यों के प्रशासन अथवा कार्यकारिणी शक्ति के प्रशासन का यहाँ तक कि सरकार के प्रशासकीय कार्यों के विभागों का अथवा साधारणतया सरकार के सभी कार्यों का अध्ययन करता है । अपने संकुचित अर्थों में यह केवल सरकार के प्रशासकीय विभाग से ही सम्बन्धित रहता है ।”
मार्शल डिमॉक के शब्दों में- ”प्रशासन का सम्बन्ध सरकार के ‘क्या’ और ‘कैसे’ से है । ‘क्या’ का अर्थ विषयवस्तु से है अर्थात् एक क्षेत्र का तकनीकी ज्ञान जो कि प्रशासकों को उनका कार्य करने की सामर्थ्य प्रदान करता है । ‘कैसे’ प्रबन्ध की तकनीक है अर्थात् वे सिद्धान्त जिनके अनुसार सरकारी योजनाएँ सफल बनाई जाती हैं । दोनों ही अपरिहार्य हैं और दोनों मिलकर प्रशासन की स्थापना करते हैं ।”
उपर्युक्त परिभाषाओं के विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि प्रशासन किसी विशिष्ट उद्देश्य की पूर्ति हेतु संगठित होकर सहयोग की भावना से किया जाने वाला कार्य है । प्रशासन करने वाले व्यक्ति के पास प्राधिकार (Authority) का होना भी आवश्यक है । प्रशासन का प्रयोग विशाल एवं औपचारिक संगठनों के लिये ही किया जाता है ।
Essay # 2. प्रशासन सम्बन्धी दृष्टिकोण : एकीकृत एवं प्रबन्धकीय (Approaches Regarding Administration: Integral and Managerial):
प्रशासन के अन्तर्गत किन क्रियाओं को सम्मिलित किया जाये इस सम्बन्ध में विद्वानों में पर्याप्त मतभेद है । सर्वप्रमुख विवाद यह है कि प्रशासन के अन्तर्गत केवल प्रबन्ध सम्बन्धी क्रियाओं को ही महत्व दिया जाना चाहिये अथवा विभिन्न स्तरों पर कर्मचारियों द्वारा सम्पादित किये जाने वाले कार्य भी समाविष्ट किये जाएँ ।
इस सम्बन्ध में मुख्यतया दो दृष्टिकोण प्रचलित हैं:
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(1) समग्र अथवा एकीकृत दृष्टिकोण:
इस दृष्टिकोण के अनुसार प्रशासनिक क्रियाओं में न केवल प्रबन्धकीय और तकनीकी वरन् शारीरिक एवं लिपिकीय कार्य भी सम्मिलित किये जाते हैं । उदाहरणार्थ- चौकीदार, फोरमैन, संदेशवाहक आदि से लेकर प्रबन्धकों तक सभी प्रशासनिक क्रियाकलापों को सम्पादित करने का दायित्व निभाते हैं । इसका तात्पर्य यह है कि किसी भी उद्यम में कार्यरत उच्च अधिकारियों से लेकर निम्न अधिकारियों तक के कार्यों को प्रशासन का ही भाग माना जाता है । प्रो. ह्वाइट, टीड एवं ओलिवर शेल्डन, मार्शलडिमॉक, ने इसी दृष्टिकोण का समर्थन किया है ।
(2) प्रबन्धकीय दृष्टिकोण:
इस दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थक स्मिथबर्ग, साइमन एवं थॉमसन हैं । इनके अनुसार केवल प्रबन्धकीय कियाओं को ही प्रशासनका भागमानाजासकताहै । एक निश्चितएवं विशिष्ट उद्देश्य की पूर्ति हेतु नियोजन, संगठन, नियन्त्रण एवं कर्मचारियों के मध्य समन्वय आदि क्रियाकलाप इसके अन्तर्गत आते हैं तथा इन कार्यों को सम्पादित करने वाले ‘प्रबन्धक’ या ‘प्रशासक’ कहलाते हैं ।
वस्तुत: प्रशासन के सम्बन्ध में उपर्युक्त दोनों ही दृष्टिकोण अपूर्ण एवं एकांगी हैं । सत्य यह है कि दोनों दृष्टिकोण एक-दूसरे के पूरक (Complementary) बनकर ही सार्थक हो सकते हैं ।