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Read this essay in Hindi to learn about the role of colonialism in promoting national interest.
उपनिवेशवाद ‘नए उपनिवेशों’ (New Colonies) को अर्जित (Acquire) करने की नीति है । एक शक्तिहीन राज्य का अपने से शक्तिशाली राज्य के साथ सम्बन्ध मुख्यतया उपनिवेशवाद के अन्तर्गत आता है । उपनिवेश वह भूप्रदेश है जो एक विदेशी राज्य द्वारा शासित है और जिसके अपने निवासियों को अपने शासन में पूरे राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं हैं ।
आर्गेन्स्की के अनुसार- ”उन सभी क्षेत्रों को हम उपनिवेश कहेंगे जो एक विदेशी सत्ता द्वारा शासित हैं तथा जिसके निवासियों को पूरे राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं हैं ।” यह एक श्रेष्ठ राज्य का अपने से निम्न राज्य के साथ सम्बन्ध है ।
उपनिवेशवाद की परिभाषा करते हुए हॉब्सन ने लिखा है कि- “उपनिवेशवाद अपने श्रेठ स्वरूप में राष्ट्रीयता का स्वाभाविक प्रसार है और सफल उपनिवेशवाद का मापदण्ड ही यही है कि उपनिवेशवादी राज्य अपनी सभ्यता के मूल्यों को नए प्रदेशों के स्वाभाविक सामाजिक परिवेश में कहां तक स्थापित कर सका है ।”
व्यावहारिक दृष्टि से साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद में कोई विशेष अन्तर नहीं है । हॉब्सन ने भी दोनों शब्दों को पर्यायवाची माना है । उसके अनुसार, ”जर्मनी और फ्रांस का उपनिवेशवादी दल अपने उद्देश्यों और कार्यविधि में इंग्लैण्ड के साम्राज्यवादी दल के समरूप ही है ।”
तथा ई. एफ. पैनरोज ने ‘अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में क्रांति’ में उपनिवेशवाद तथा साम्राज्यवाद में निम्नलिखित अन्तर बताए हैं:
प्रथम:
साम्राज्यवाद में नए भूप्रदेश और क्षेत्रों का समामेलन एकदम स्पष्ट और प्रत्यक्ष होता है तथा इन अधीन प्रदेशों पर साम्राज्यवादी देश की विधि-व्यवस्था तथा शासन-प्रणाली एकदम आरोपित कर दी जाती है जबकि उपनिवेशवाद में अधीन प्रदेशों की विधि और शासन-व्यवस्था पर पूर्ण नियन्त्रण नहीं होता और मूल विधि व्यवस्था एवं शासन-प्रणाली की कई विशेषताएं स्वीकार कर ली जाती हैं ।
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द्वितीय:
साम्राज्यवाद में नए प्रदेशों को पूर्ण आत्मसात् करने का प्रयत्न होता है । इन दोनों के निवासियों को बलात् वही सभ्यता संस्कृति जीवन-मूल्य राजनीतिक संस्थाएं आर्थिक नीतियां अपनाने को बाध्य किया जाता है जो साम्राज्यवादी देश की होती हैं जबकि उपनिवेशवाद में मूल निवासियों की सांस्कृतिक तथा सामाजिक विशेषताएं जीवित रहती हैं ।
तृतीय:
साम्राज्यवाद में तो पूर्ण विलयन हो जाता है, जबकि उपनिवेशवाद में राष्ट्रीयता के विकास के अवसर अधिक होते हैं ।
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आर्गेन्स्की ने उपनिवेशों का वर्गीकरण मुख्यतया दो प्रकार से किया है:
(i) बिन्दु उपनिवेश तथा
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(ii)क्षेत्रीय उपनिवेश ।
बिन्दु उपनिवेश अत्यन्त छोटे भूखण्ड होते हैं, जैसे महासागरों में नन्हें-नन्हें द्वीप अथवा किसी विशाल महाद्वीप का अत्यन्त लघु प्रदेश । इन्हें बिन्दु उपनिवेश इसलिए कहा जाता है, क्योंकि विश्व मानचित्र में ये केवल एक बिन्दुमात्र ही होते हैं । इन बिन्दु उपनिवेशों का नियन्त्रण और उपयोग एक व्यापारिक केन्द्र अथवा अपराजित देशों के मध्य में एक पड़ाव के रूप में अथवा समुद्री, व्यापारिक एवं सामरिक महत्व के मार्गो पर ईंधन भरने के लिए किया जाता है ।
जिब्राल्टर, सिंगापुर, हांगकांग, पनामा नहर क्षेत्र बिन्दु उपनिवेश के उदाहरण हैं । क्षेत्रीय उपनिवेश वे विशाल भू-प्रदेश हैं जिन पर आर्थिक एवं राजनीतिक कारणों से नियन्त्रण किया जाता है । ये दो प्रकार के हैं, बस्ती उपनिवेश तथा शोषण क्षेत्र उपनिवेश ।
बस्ती उपनिवेश वे उपनिवेश हैं जहां की जलवायु और ऋतु यूरोपियन लोगों के अनुकूल है और वे बड़ी संख्या में वहां निवास करते हैं । शोषण क्षेत्र उपनिवेश वे क्षेत्र हैं जिनका प्रयोग केवल शोषण के लिए किया जाता है तथा इन उपनिवेशों में यूरोपियनों की संख्या बहुत कम होती है तथा वे मुख्यत: शासक वर्ग, व्यापारी वर्ग, पादरी वर्ग एवं सैनिक वर्ग तक ही सीमित होते हैं ।
उपनिवेश कच्चा माल, तैयार माल के लिए बाजार, सस्ते श्रम, सैनिकों की भर्ती, अधिक जनसंख्या के लिए निवास योग्य भूमि, महत्वपूर्ण सैनिक अड्डों के रूप में हमेशा लाभदायी होते हैं । 1948 में यूरोपीय देशों को 51 प्रतिशत बॉक्साइट, 45 प्रतिशत कच्चा टीन, 40 प्रतिशत फॉस्फेट चूर्ण, 20 प्रतिशत मैंगनीज, 18 प्रतिशत तांबा, 15 प्रतिशत क्रोमाइट, एस्बेस्टॉस उपनिवेशों से ही प्राप्त होता था । कोई भी उपनिवेशवादी राज्य उपनिवेशों को सरलता से नहीं छोड़ता क्योंकि उपनिवेशों का शोषण करना और लाभ प्राप्त करना एक बहुत बड़ा आकर्षण है ।