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Read this essay in Hindi to learn about the types of economic warfare affecting international politics.
आर्थिक युद्ध से अभिप्राय उन आर्थिक नीतियों से है जिनका अनुगमन युद्धकाल में सैनिक कार्यवाहियों के सहायक के रूप में किया जाता है ।
इसका लक्ष्य सैनिक और रणनीति की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्रोतों पर अधिकार जमाए रखना, शत्रु राज्यों को उन स्रोतों से वंचित रखना है, ताकि अपनी सेना अधिकतम शक्ति के साथ लड़ सके और शत्रु राज्य की युद्ध क्षमता क्षीण हो जाए । प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में युद्धरत पक्षों ने आर्थिक युद्ध के उपकरणों को अनवरत प्रयोग किया था ।
आर्थिक युद्ध के प्रमुख उपकरण इस प्रकार हैं:
(1) परिवेष्टन (Blockade):
परिवेष्टन का अर्थ है नाकेबन्दी करना । नाकेबन्दी करने का उद्देश्य शत्रु देश को निर्बल बनाकर उसे आत्मसमर्पण के लिए विवश करना है । नाकाबन्दी से शत्रु देश की आवश्यक सामग्रियां उस तक नहीं पहुंच पाती हैं और उसे उन वस्तुओं का अभाव खलने लगता है और उसके युद्ध प्रयत्न ढीले पड़ जाते हैं ।
आजकल युद्ध में आर्थिक पहलू का महत्व इतना अधिक बढ़ गया है कि, परिवेष्टन का प्रयोग आर्थिक शस के रूप में होने लगा है । इसका उद्देश्य दूसरे राज्य पर दबाव डालना होता है और दबाव डालने वाले देश के जहाज उसके बन्दरगाहों और तट को ऐसा घेर लेते हैं कि अन्य देशों के साथ उसका व्यापारिक सम्पर्क बिल्कुल समाप्त हो जाता है ।
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(2) काली सूची (Black List):
काली सूचियों से तात्पर्य उन सूचियों से होता है जिनमें लिखित वस्तुओं का निर्यात एकदम बन्द कर देना होता है । द्वितीय विश्वयुद्ध के समय अमरीका ने इन काली सूचियों का विशेष उपयोग किया था जिसमें अमरीका और लैटिन अमरीकी पूंजीपतियों पर कतिपय विशिष्ट सामग्री को धुरी राष्ट्र के देशों को निर्यात करने पर पूर्ण रोक लगा दी गयी थी । ब्रिटेन तथा अन्य मित्र राष्ट्रों ने भी इस प्रकार की सूचियों का प्रयोग किया था ।
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(3) पहले से ही माल खरीद लेना (Pre-Emptive Buying):
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यह वह तरीका है जिसमें एक राष्ट्र किसी तटस्थ देश से सामरिक वस्तुओं की पूर्व में ही खरीद कर लेता है ताकि वे वस्तुएं शत्रु राष्ट्र के हाथ में न पड़े, पूर्व में ही माल खरीद लेने का मूल भाव यह है कि शत्रु राज्य के हाथ में वह सामग्री न पड़े, चाहे व्यापारिक दृष्टि से इस खरीद से हानि ही उठानी पड़े द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी ने पहले से ही माल खरीदने की नीति का विशेष सर्तकता से पालन किया ।
द्वितीय विश्वयुद्ध आरम्भ होने से पूर्व ही जर्मन विक्रेताओं ने बाल्टिक और बाल्कान क्षेत्रों का सामरिक महत्व वाला प्रसाधन खरीदने में बड़ी तत्परता दिखायी थी । यह कोई सरल नीति नहीं है । जिन देशों में पूर्वक्रयण होता है, वहां वस्तुओं के दाम बहुत बढ़ जाते है और स्थानीय उद्योगपति इसका विरोध करते हैं ।
(4) प्रलोभन (Rewards):
आर्थिक प्रलोभन के उपकरण भी अपनाए जाते हैं । द्वितीय विश्वयुद्ध के समय स्वीडन को मित्र राष्ट्रों ने प्रलोभन दिया कि यदि वह जर्मनी को निर्यात कम कर दे तो मित्रराष्ट्र उसे तेल प्रदान करेंगे जो कि स्वीडिश सेना की तात्कालिक आवश्यकता थी । स्पेन को आवश्यक सामग्री प्रदान करके मित्रराष्ट्रों ने उसकी जर्मनी पर निर्भरता कम कर दी थी ।