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Here is an essay on ‘Political Warfare’ for class 11 and 12. Find paragraphs, long and short paragraphs on ‘Political Warfare’ especially written for school and college students in Hindi language.
Essay # 1. राजनीतिक युद्ध का अर्थ (Meaning of the Political Warfare):
19वीं शताब्दी के अन्तिम चरण से विश्व में या तो युद्ध स्थिति रही है या युद्ध तैयारी की स्थिति रही है । शान्तिकाल तो बड़ा कम रहा है । इस परिस्थिति में सामान्य विदेश नीति कूटनीति और प्रचार कुछ अनुपयुक्त से प्रतीत होने लगे ।
राज्यों के सामने यह समस्या उत्पन्न हुई कि जब न तो युद्ध है और न शान्ति ऐसी स्थिति में शत्रु को किस प्रकार निर्बल किया जाए । यही राजनीतिक युद्ध की पूछभूमि है । युद्ध केवल सेना द्वारा हथियारों से रणक्षेत्र में ही नहीं लड़े जाते । युद्ध के कई रूप होते हैं जैसे मनोवैज्ञानिक युद्ध, सैनिक युद्ध, राजनीतिक युद्ध आदि ।
प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान मनोवैज्ञानिक और राजनीतिक युद्ध सैनिक युद्ध के महत्वपूर्ण पूरक माने गए थे और द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् राजनीतिक युद्ध को ‘शीत युद्ध’ के प्रतिरूप के रूप में जाना जाता है ।
‘राजनीतिक युद्ध’ की स्थिति में कोई राज्य सैनिक शक्ति का प्रयोग नहीं करता, लेकिन शक्ति के किसी-न-किसी रूप का प्रयोग अवश्य होता है । युद्ध का निहितार्थ यह है कि, विपक्षी को कोई बात स्वीकार करने के लिए मजबूर कर दिया जाए । सैनिक बल से ऐसा करने पर उसे हम युद्ध की संज्ञा देते हैं लेकिन कूटनीति प्रचार मनोवैज्ञानिक साधनों से भी किसी राष्ट्र को विवश किया जा सकता है ।
जब हम प्रचार कूटनीति आर्थिक दबाव आदि का प्रयोग इस रूप में करें कि दूसरे राज्य हमारी नीतियों को मानने के लिए मजबूर हो जाएं तो इसे राजनीतिक युद्ध कहा जाएगा ।
स्ट्रोज-ह्यूप तथा पीसनी ने राजनीतिक युद्ध की निम्नलिखित परिभाषा दी है- ”राजनीतिक युद्ध सूक्ष्म में एक व्यवस्थित क्रिया है एवं अधिकतर गुप्त स्वभाव की है जो बिना शक्ति अथवा सैनिक अधिकार के दूसरे राज्य की नीतियों को प्रभावित एवं निर्देशित करते हैं ।”
पामर एवं पर्किन्स ने राजनीतिक युद्ध को इस प्रकार परिभाषित किया है- ”सामान्यत: युद्ध छोड्कर इसमें वे साधन सम्मिलित हैं जिनका किसी विशेष शत्रु या शत्रुओं को निर्बल करने के लिए प्रयोग किया जाता है ।” उपरोक्त विचारों की विवेचना से यह स्पष्ट होता है कि, राजनीतिक युद्ध राष्ट्रीय हितों की अभिवृद्धि का आधुनिक विश्व राजनीति के सन्दर्भ में प्रमुख साधन है ।
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राजनीतिक युद्ध, युद्ध न होते हुए भी युद्ध की-सी परिस्थितियों को बनाए रखने की कला है, जिसमें प्रत्येक विषय पर विश्व-शान्ति के दृष्टिकोण से नहीं बल्कि अपने संकीर्ण स्वार्थों को ध्यान में रखकर विचार और कार्य किया जाता है । राजनीतिक युद्ध ऐसा युद्ध है जिसका रणक्षेत्र मनुष्य का मस्तिष्क है । यह मनुष्य के मनों में लड़ा जाने वाला युद्ध है, अत: इसे स्नायु युद्ध रक्षा (war of nerves) कहा जा सकता है ।
यह विभिन्न देशों के सम्बन्धों को धृणा, वैमनस्य और मनोमालिन्य से गन्दा कर देता है । यह एक प्रकार का वाक्युद्ध है जिसे कागज के गोलों, पत्र-पत्रिकाओं, रेडियो तथा प्रचार-साधनों से लड़ा जाता है । यह एक प्रकार का कूटनीतिक युद्ध भी है जिसमें शत्रु को अकेला करने और मित्रों की खोज करने की चाल का प्रयोग किया जाता है ।
राजनीतिक युद्ध की प्रकृति कूटनीतिक युद्ध-सी है जो अत्यन्त उग्र होने पर सशस युद्ध को जन्म दे सकता है । राजनीतिक युद्ध में रत पक्ष आपस में शान्तिकालीन कूटनीतिक सम्बन्ध बनाए रखते हुए भी शत्रुभाव रखते हैं और सशस युद्ध के अलावा अन्य सभी उपायों से एक-दूसरे को कमजोर बनाने का प्रयत्न करते हैं ।
दूसरे देशों को प्रभाव-क्षेत्र में लेने के लिए आर्थिक सहायता देना, प्रचार शस्त्र को काम में लेना, जासूसी, सैनिक हस्तक्षेप, शस्त्र सप्लाई, शस्त्रीकरण, सैनिक गुटबन्दी और प्रादेशिक संगठनों का निर्माण, आदि राजनीतिक युद्ध के अंग हैं ।
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राजनीतिक युद्ध का उद्देश्य शत्रु को निर्बल बनाना है, उसके मनोबल का विघटन करना तथा शत्रु अथवा विरोधी राज्य में अव्यवस्था पैदा कर उद्देश्यों की प्राप्ति करना है । सामान्यत: ये ही कार्य कूटनीति, प्रचार अथवा अन्य साधनों के होते हैं । लेकिन ये राजनीतिक युद्ध से भिन्न हैं ।
सामान्य प्रचार राजनीतिक युद्ध नहीं है । लेकिन प्रचार का उद्देश्य विरोधी राज्य को निर्बल बनाना, डराना या धमकाना हो तो वह राजनीतिक युद्ध का अंग बन जाता है । इसी प्रकार सामान्य कूटनीति भी राजनीतिक युद्ध के अन्तर्गत नहीं आती । लेकिन जैसे ही कूटनीति का प्रयोग दूसरे राज्य को आतंकित करना होता है यह राजनीतिक युद्ध बन जाती है ।
कौन-सी क्रिया सामान्य है या राजनीतिक युद्ध का तत्व है, यह उद्देश्य पर निर्भर करता है । पामर एवं पर्किन्स के अनुसार यह अन्तर उद्देश्य से सम्बन्धित है । उदाहरण के लिए, नाकाबन्दी (embargo) आर्थिक स्रोतों का संरक्षण करने के लिए की गयी है तो यह सामान्य क्रिया के अन्तर्गत आएगी ।
लेकिन यदि नाकाबन्दी का उद्देश्य विरोधी राज्य को आर्थिक वस्तु से वंचित रखना है, तो वही क्रिया राजनीतिक युद्ध के अन्तर्गत आ जाएगी । राजनीतिक युद्ध का वास्तविक युद्ध की शुरूआत से अन्त नहीं हो जाता, किन्तु युद्ध के समय प्रचार, कूटनीति, आर्थिक साधन सभी राजनीतिक युद्ध के साधन बन जाते हैं और युद्ध में सहायता करते हैं ।
संक्षेप में, राजनीतिक युद्ध का अभिप्राय एक राज्य द्वारा सामान्य रूप से लड़ाई के अतिरिक्त वे सभी कार्य हैं, जिनके द्वारा कोई राज्य अपने शत्रु को निर्बल बनाने का प्रयत्न करता है । शत्रु के विरुद्ध किए जाने वाले प्रचार कार्य का भी इसमें समावेश होता है ।
जनता को सरकार के विरुद्ध विद्रोह के लिए उकसाया जाता है, उद्योग-धन्धों, कल-कारखानों और यातायात के साधनों की व्यवस्था को अस्त-व्यस्त करने का प्रयास किया जाता है । इसके साथ ही प्रमुख नेताओं की हत्या करके जनता के मनोबल को तोड़ने का प्रयास किया जाता है ।
Essay # 2. राजनीतिक युद्ध के प्रमुख साधन (Devices of Political Warfare):
(1) शत्रु राज्य में भ्रान्ति और मतभेद उत्पन्न करने के लिए प्रचार करना ।
(2) विरोधी समुदाय को आतंकित करने वाला प्रचार ।
(3) दूसरे राज्य को निर्बल करने वाले आर्थिक साधन प्रयुक्त करना । उदाहरणार्थ, 1971 के भारत-पाक युद्ध के समय अमरीका ने भारत पर दबाव डालने के लिए आर्थिक सहायता बन्द कर दी थी ।
(4) दूसरे राज्य में अल्पसंख्यकों को विद्रोह के लिए भड़काना । साम्यवादी चीन ने भारत और बर्मा के सन्दर्भ में यह नीति अपनायी थी ।
(5) दूसरे राज्य के राजनीतिक अपराधियों को संरक्षण देना ।
(6) दूसरे राज्य में जासूसी गतिविधियों में वृद्धि करना । अमरीकी सी. आई. ए. और रूसी के. जी. बी. इसी प्रकार की गुप्तचरी करते रहे हैं ।
(7) दूसरे राज्य के विरोध में निर्वासित सरकार को अपने देश में बनने देना ।
(8) दूसरे राज्य में राजनीतिक हत्याएं कराना ।
(9) दूसरे राज्यों में आर्थिक तोड़-फोड़ की नीति अपनाना ।
(10) दूसरे राज्य में क्रान्ति को प्रोत्साहन देना राजनीतिक युद्ध का बड़ा प्रभावशाली साधन है । साम्यवादी देश इस साधन का यदा-कदा प्रयोग करते रहते हैं ।
(11) शक्ति का प्रदर्शन करना-आदि राजनीतिक युद्ध के प्रमुख साधन हैं ।
इन साधनों का प्रयोग राज्य अपने राष्ट्रीय हितों की अभिवृद्धि के लिए करते हैं, लेकिन इनका प्रयोग सामान्यत: मित्र देशों के साथ नहीं किया जाता। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय नाजी जर्मनी ने उपरोक्त साधनों का खुलकर प्रयोग किया था ।
Essay # 3. राजनीतिक युद्ध : कतिपय उदाहरण (Some of the Illustrations of Political Warfare):
राजनीतिक युद्ध की कला का प्रयोग अत्यन्त प्राचीन काल से हो रहा है । आचार्य कौटिल्य ने बड़े विस्तार से इस बात पर प्रकाश डाला है कि, शत्रु के प्रदेश में अपने गुप्तचर भेजकर उनमें किस प्रकार फूट पैदा की जाए और उनको निर्बल बनाया जाए । मध्यकाल में मैकियावेली ने राजनीतिक युद्ध के उपायों का उल्लेख अपनी सुप्रसिद्ध पुस्तक ‘प्रिन्स’ में बड़े विस्तार से किया है ।
ट्रायजन घोड़े की कहानी (The Story of Trajan Horse) से हम सभी परिचित हैं । ट्राय नगर को जीतने के लिए यूनान ने राजनीतिक युद्ध का सहारा लिया । यूनानियों ने एक चाल सोची । उन्होंने अपने देवता को प्रसन्न करने के नाम पर लकड़ी का एक विशाल घोड़ा बनाना प्रारम्भ किया ।
वह घोड़ा अन्दर से खोखला था । इसके पेट में कई सैनिक चुपके से यूनानियों ने छुपा दिए, अपनी विजय की खुशियां मनाते हुए ट्राय के निवासी शहर के परकोटे को तोड़कर घोड़े को अन्दर ले गए । लेकिन घोड़े के पेट में यूनानी सैनिक छिपे बैठे थे ।
रात्रि को उपयुक्त अवसर देखकर यूनानी सैनिक बाहर निकल आए और चुपके से ट्राय नगर का दरवाजा खोल दिया । लगातार कई दिनों तक घमासान युद्ध हुआ और अन्त में युनानियों की विजय हुई । प्रथम विश्वयुद्ध के समय मित्र राष्ट्रो ने विल्सन के 14 सूत्रों के आवरण में ‘राष्ट्रीय आत्मनिर्णय’ के सिद्धान्त का लालच देकर स्लाव लोगों को अपने पक्ष में कर लिया । उन्होंने इटली के साथ गुप्त सन्धि करके उसे धुरी राष्ट्रो से विलग करने का प्रयत्न किया ।
दो विश्वयुद्धों के मध्य साम्यवादियों ने चीन, हंगरी, बवेरिया तथा सेक्सनी में विद्रोह खड़ा किया, सोवियत संघ में क्रान्ति विरोधी तत्वों को दबाया, फ्रेंच प्रधानमन्त्री बारथू की हत्या (1934) करवायी, स्पेन में फासिस्टों एवं कम्युनिस्टों का हस्तक्षेप तथा आस्ट्रिया पर नाजी हमला राजनीतिक युद्ध के उदाहरण है ।
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आधुनिक युग में अल्पसंख्यकों को राज्य के विरुद्ध भड़काने की नीति का प्रयोग हिटलर ने आस्ट्रिया तथा चेकोस्लोवाकिया के कुछ भागों को हस्तगत करने में बड़ी कुशलतापूर्वक किया । जनरल फ़्रांको द्वारा स्पेन के गृहयुद्ध में इस पद्धति को सफलतापूर्वक अपनाया गया ।
स्पेन की राजधानी मेहिड पर चढ़ाई के समय उसे राजधानी को चारों दिशाओं में घेरने वाली अपनी सेनाओं के अतिरिक्त राजधानी के भीतर विद्यमान अपने समर्थक पंचमांगी दल (Fifth Column) से बड़ी सहायता मिली ।
द्वितीय महायुद्ध के समय जर्मनी ने बराबर प्रयत्न किया कि अमरीका मित्रराष्ट्रों की तरफ से युद्ध में न कूदे और इसके लिए रिश्वत, चेतावनी और गुमराह करने वाले साधनों को अपनाया । युद्ध में फ्रांस के मनोबल को गिराने के लिए राजनीतिक युद्ध जैसे साधनों का प्रयोग किया ।
हिटलर की जीवनलीला समाप्त करने के लिए मित्र राष्ट्रों ने भी ऐसे ही तरीके अपनाए । द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पूर्वी यूरोप के राज्यों को अपने प्रभाव-क्षेत्र में लेने के लिए सोवियत संघ ने भी स्टालिन के नेतृत्व में राजनीतिक युद्ध के तौर-तरीकों को अपनाया । भारत के विरोध में चीन और पाकिस्तान बराबर ऐसे ही तरीके अपनाते रहे हैं ।
चीनी विदेश नीति के साधनों में राजनीतिक युद्ध के तरीकों को विशेष महत्व दिया गया है । अमरीका और सोवियत संघ के बीच चलने वाले शीतयुद्ध में राजनीतिक युद्ध के तरीके प्रयुक्त होते रहे हैं । रूस-चीन मतभेदों के युगों में दोनों देश राजनीतिक युद्ध के तरीकों को अपनाने में नही हिचकिचाते थे । एशिया के देशों के परिप्रेक्ष्य में चीन यदाकदा राजनीतिक युद्ध के उपायों का सहारा लेता रहा है ।