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Read this essay in Hindi to learn about the significance of studying international politics.
1. अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान खोजना:
अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के अध्ययन का उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं का विश्लेषण करके उनका युक्तियुक्त समाधान खोजना है ।
2. विश्व राजनीति के आधारभूत तत्वों से परिचित होना:
विश्व राजनीति के असली स्वरूप को समझने के लिए इसके आधारभूत तत्वों से परिचित होना आवश्यक है । आधुनिक विश्व राजनीति के निर्णायक तत्वों में निःशस्त्रीकरण, साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद, राष्ट्रवाद, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार, अर्थव्यवस्था का भूमण्डलीकरण, नवीन अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, आदि प्रमुख हैं । अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के अध्ययन से ही विश्व राजनीति के निर्णायक तत्वों का हमें ज्ञान होता है ।
3. विश्व-शान्ति का आधार तैयार करना:
विश्व-शान्ति आज के युग की अप्रतिम आवश्यकता है और प्रो. चार्ल्स मार्टिन के अनुसार- अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के अध्ययन की मुख्य समस्या दो विरोधी स्थितियों: विश्व-शान्ति तथा युद्ध का एक साथ अध्ययन करना होता है । युद्ध के कारणों की खोज करने के बाद विश्व-शान्ति स्थापित करने वाले तत्वों को यह विषय प्राथमिकता से प्रस्तुत करता है ।
4. विश्व सरकार की पृष्ठभूमि तैयार करना:
प्रसिद्ध दार्शनिक बर्ट्रेण्ड रसेल के अनुसार विश्व सरकार के द्वारा ही विश्व-शान्ति की स्थापना की जा सकती है । जब तक राष्ट्रों में उग्र राष्ट्रीयता एवं सम्प्रभुता की भावना विद्यमान रहेगी, विश्व सरकार एक सपना ही बना रहेगा । अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति विश्व सरकार की अवधारणा का अध्ययन कराने वाला विषय है । इसके माध्यम से विभिन्न राज्यों में विश्व सरकार के पक्ष में वातावरण तैयार किया जाता है ।
5. विदेश नीतियों का अध्ययन कराना:
फैलिक्स ग्रास का मत है कि अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का अध्ययन वास्तव में विदेश नीतियों के अध्ययन के अतिरिक्त कुछ नहीं है । अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का अध्ययन निश्चय ही विदेश नीति के अध्ययन से जुड़ा हुआ है । अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से विभिन्न राष्ट्र अपने-अपने हितों की रक्षा करने का प्रयत्न करते हैं । क्योंकि यह प्रक्रिया प्रकट रूप में राज्यों की विदेश नीति के माध्यम से ही काम करती है, इसलिए अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के अध्ययन से विदेश नीति के अध्ययन की मांग काफी हद तक पूरी हो जाती है ।
6. शक्ति संघर्ष की राजनीति का अध्ययन:
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हान्स जे. मार्गेन्थाऊ के अनुसार- ‘अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति सभी राजनीतिक उद्देश्यों की भांति शक्ति के लिए संघर्ष है ।’ आधुनिक प्रवृति अन्तर्राष्ट्रीय व्यवहार को शक्ति के आधार पर समझने की है । कई विद्वान यह मानते हैं कि प्रत्येक राष्ट्र द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में सम्पन्न किया गया प्रत्येक कार्य प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से शक्ति प्राप्त करने प्राप्त शक्ति की वृद्धि करने उसका प्रदर्शन करने, आदि से सम्बन्ध रखता है । अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति विषय शक्ति की गूढ़ता को हृदयंगम करता है और शक्ति के परिप्रेक्ष्य में ही अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं के मर्म को समझने का प्रयत्न करता है ।
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प्रारम्भ में अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का अध्ययन पूर्णतया काल्पनिक आदर्शवाद पर आधारित था और इसका दायरा युद्ध और युद्ध की समाप्ति से सम्बन्धित था । पिछले दो विश्व युद्धों की पृष्ठभूमि में इसके अध्ययन में ‘यथार्थवादी परम्परा’ का विकास हुआ और समस्याओं का अध्ययन ‘शक्ति’ ओर ‘सत्ता-राजनीति’ के परिप्रेक्ष्य में किया जाने लगा ।
इस विषय के कतिपय आलोचकों का मानना है कि यह विषय विज्ञान के निश्चित कार्यकारण सिद्धान्तों पर आधारित न होकर मानवीय संवेगों व्यक्तित्व के भिन्न रूपों परम्पराओं अभिप्रेरणाओं जैसे अमूर्त तथा परिवर्तनशील तत्वों पर आधारित है ।
अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का सार्थक विश्लेषण भी न तो युद्ध को रोक पाया है और न भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पूर्व निचोड़ प्रस्तुत कर पाया है । ऐसी स्थिति में ‘अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति’ विषय के अध्ययन का क्या महत्व हो सकता है ?
संक्षेप में, अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का अध्ययन हमारे लिए उपयोगी है, क्योंकि यह हमें बताता है कि निश्चित परिस्थितियों में व्यक्ति और राष्ट्र किस प्रकार का आचरण करते हैं और इस ज्ञान के आधार पर हम यह जान सकते हैं कि वांछित अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था की स्थापना के लिए किन परिस्थितियों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए और किन को नहीं ।