ADVERTISEMENTS:
Read this article in Hindi to learn about the top four methods of propaganda used for promoting national interest.
Method # 1. प्रस्तुत करने की विधि (Methods of Presentation):
किसी भी समस्या पर प्रचारकर्ता अपने विचार इस ढंग से प्रस्तुत करता है कि केवल उसी का पक्ष प्रकट हो । वह अपनी बात को ऐसे प्रस्तुत नहीं करता जिससे दोनों पक्ष व्यक्त हों । उसकी भूमिका एक वकील के तरीके से मिलती-जुलती है, जो बड़ी सावधानी से अपने तर्कों को इस प्रकार संगठित करता है जिनसे मुकदमे का एक पक्ष सिद्ध होता हो ।
वह उन तथ्यों को अपने तर्कों में से निकाल देता है जिनसे उनके पक्ष को क्षति पहुंचती है । अब्राहम लिंकन जिन दिनों वकालत करते थे उन दिनों एक न्यायाधीश ने उनके तर्कों पर आपत्ति करते हुए कहा कि- ‘लिंकन, इस मुकदमे में आप जो तर्क दे रहे हैं, वे आपके द्वारा ही एक अन्य मुकदमे में कल दिए गए तर्कों के प्रतिकूल हैं ।’
इसका उतर देते हुए लिंकन ने कहा कि- ‘हो सकता है मैंने कल जो तर्क दिए थे वे गलत हों, किन्तु मेरे आज के तर्क पूर्णत: सत्य हैं ।’ कभी-कभी प्रचारक जान-बूझकर असत्य बोलता है अथवा अपने पक्ष के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जाली दस्तावेज भी तैयार करता है । हिटलर ने इस ‘झूठ पद्धति’ का बड़ी खूबी से प्रयोग किया ।
जब हिटलर ने चेकोस्लोवाकिया को हड़पने का संकल्प किया तो उसने अपने उद्देश्य को इस रूप में प्रस्तुत किया कि वह चेकोस्लोवाकिया के केवल उन्हीं प्रदेशों को प्राप्त करना चाहता है जिनमें जर्मन भाषा-भाषी स्यूडेटन लोग बसे हुए हैं ।
यह मांग आत्मनिर्णय के उस सिद्धान्त के आधार पर की गयी थी जो लोकतन्त्र का एक मौलिक सिद्धान्त था और जिनसे ग्रेट ब्रिटेन फ्रांस, आदि पश्चिमी प्रजातन्त्र पूरी आस्था रखते थे । इसी प्रकार इंग्लैण्ड के सत्तारूढ़ दल ने 1924 में रूस को बदनाम करने के लिए एक जाली पत्र तैयार किया जिसे जिनोविव-पत्र (Jinovive Letter) के नाम से जाना जाता है ।
कश्मीर समस्या पर पाकिस्तान अपने तर्क सदैव तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करता है । पाकिस्तान बराबर यही प्रचार करता रहा है कि कश्मीर पाकिस्तान का अंग है, क्योंकि वहां की अधिकांश जनता मुसलमान है । कई बार कई देशों द्वारा झूठी और कृत्रिम रूप से बनायी गयी घटनाओं से लड़ाइयां छेड़ी जाती हैं, और साथ ही इस प्रकार का प्रचार किया जाता है कि, दूसरे देश उन्हें लड़ने के लिए विवश या बाधित कर रहे हैं । 18 सितम्बर, 1931 को मंचूरिया में मुकदन नामक रेलवे स्टेशन के पास एक बम विस्फोट हुआ ।
जापान ने इसे अपने प्रचार द्वारा इस रूप में प्रस्तुत किया किन यह चीनियों द्वारा जापान पर हमला करने का प्रयास है और इसका प्रतिरोध करने के लिए उन्होंने चीन पर आक्रमण किया और उसके एक बड़े भू-भाग को जीतकर उस पर अपना आधिपत्य स्थापित किया । वस्तुत: बम विस्फोट की घटना चीन पर हमला करने और सुनियोजित ढंग से उसे जीतने की सुविचारित योजना का अंग था ।
Method # 2. ध्यान आकर्षित करने की विधि (Techniques of Gaining Attention):
ADVERTISEMENTS:
अपने उद्देश्यों को निर्धारित करने के बाद प्रचारक उनके प्रति सम्बद्ध देशों के लोगों का ध्यान आकर्षित करता है । इसके लिए कई साधन अपनाए जाते हैं-दूसरे देश की सरकार के लिए समय-समय पर नोट्स पत्र विरोध-पत्र आदि भेजे जाते हैं । कभी-कभी राष्ट्र अपनी शक्ति का प्रदर्शन भी करता है सेनाओं की परेडों आदि से भी दूसरे देशों का ध्यान आकर्षित किया जाता है ।
विभिन्न देशों के दूतावास सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करके अपने देश की संस्कृति साहित्य, कला रीति-रिवाज आदि से भी विदेशियों को परिचित कराते हैं । आजकल शासनाध्यक्ष एवं अन्य नेताओं की यात्राओं का भी इन्हीं कारणों से प्रयोग किया जाता है । इन सद्भावना यात्राओं द्वारा राष्ट्रों को दूसरे देशों में अपनी नीति के प्रचार के लिए अच्छा अवसर प्राप्त हो जाता है ।
Method # 3. प्रत्युत्तर प्राप्त करने की विधि (Devices of Gaining Acceptance):
प्रचारकर्ता द्वारा लोगों की देशभक्ति आत्मरक्षा एवं न्यायप्रियता आदि भावनाओं को प्रभावित करके अपनी इच्छानुकूल प्रतिक्रिया प्राप्त करने की कोशिश की जाती है ।
इसके लिए निम्नलिखित विधियां अपनायी जाती हैं:
ADVERTISEMENTS:
ADVERTISEMENTS:
प्रचारक लोगों के गर्व, प्रतिष्ठा, आकांक्षाओं तथा भावनाओं को उत्तेजित करते हैं, जिनके द्वारा सम्बन्धित समुदायों को प्रभावित करने का प्रयत्न किया जाता है । नए नारों का निर्माण करते हैं जिससे लोगों में अनुकूल चेतना जाग्रत हो जाती है; जैसे ‘स्वतन्त्रता, समानता और भ्रातृत्व’, ‘राष्ट्रीय आत्म-निर्णय का अधिकार’, ‘दुनिया के मजदूरो एक हो’ ‘जनतन्त्र खतरे में है’ आदि नारे विश्व राजनीति में प्रचलित रहे हैं ।
प्रतीकों का प्रयोग; जैसे राष्ट्रीय ध्वज राष्ट्रीय गीत आदि को काम में लेना । राष्ट्र के प्रतीकों का काम कभी-कभी राष्ट्रीय नेताओं और सामाजिक चिह्न से भी किया जाता है । इतिहास में सबसे प्रभावशाली प्रतीक की भूमिका नाजी जर्मनी में ‘स्वास्तिक’ ने की । यह हिटलर के उद्देश्यों आकांक्षाओं और अभिलाषाओं का द्योतक था तथा जर्मन व्यक्ति बड़ी श्रद्धा और भक्ति-भाव से इस प्रतीक की पूजा किया करते थे ।
Method # 4. स्वीकृति प्राप्त करने की विधि (Methods of Gaining Acceptance):
प्रचारक द्वारा ऐसे प्रयत्न किए जाते हैं जिनके द्वारा दूसरे देश उसकी नीतियों को स्वीकृति प्रदान करें । प्रचारक जिस समुदाय को प्रभावित करना चाहता है वह यह प्रयल करता है कि वह समुदाय उसे स्वीकार कर ले । प्रचारक और समुदाय में पूर्ण तादात्म्य स्थापित हो जाए ।
कभी-कभी लोक धर्म, जाति, विचारधारा का सहारा लेकर प्रचार-उद्देश्य समुदाय को अपनी ओर मिलाते हैं । हिटलर ने पश्चिमी देशों के जर्मन विरोध को कुण्ठित करने के लिए साम्यवादी खतरे का नारा बुलन्द किया था ।
आस्ट्रिया आदि को अपने आधिपत्य में करने के लिए हिटलर ने ‘जर्मन जाति’ से उन्हें अपनी ओर मिलाने का प्रयत्न किया । जापान ने पश्चिमी देशों के विरुद्ध एशिया के लोगों का समर्थन प्राप्त करने के लिए ‘एशिया एशियावासियों के लिए’ का नारा लगाया था ।