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Read this article in Hindi to learn about the bureaucratic model of Max Weber along with its criticism.
मैक्स वेबर एकमात्र ऐसे विचारक हैं जिन्होंने नौकरशाही को लोकतन्त्र का आदर्श प्रतिरूप माना है । जर्मन समाजशास्त्री मैक्स वेबर ने सन् 1920 में अपनी पुस्तक ‘सामाजिक और आर्थिक संगठन का सिद्धान्त’ (The Theory of Social and Economic Organization) में अपने नौकरशाही से सम्बन्धित सिद्धान्त को प्रस्तुत किया ।
वेबर ने औद्योगिक क्रान्ति के दौरान प्रबन्ध प्रणाली में व्याप्त दोषों य था भाई भतीजावाद पक्षपात व्यक्तिगत आदि के विरुद्ध अपने इस आदर्श नौकरशाही मॉडल को प्रस्तुत किया वेबर ने नौकरशाही को प्रशासन की तर्कपूर्ण व्यवस्था बताया । वेबर के शब्दों में- ”नौकरशाही एक प्रकार का प्रशासकीय संगठन है जिसमें विशेष योग्यता निष्पक्षता तथा तटस्थता आदि लक्षण पाये जाते हैं ।”
वेबर ने प्रशासन को सत्ता या प्रभुत्व का धारक माना है तथा प्रभुत्व के तीन प्रकार बताये हैं:
(1) परम्परागत सत्ता (Traditional Authority)- इस प्रकार की सत्ता का आ धार प्राचीन नियम विनियम होते हैं ।
(2) चमत्कारिक सत्ता (Charismatic Authority)- इसे सत्ता धारी अपनी अद्भुत योग्यता के आधार पर अर्जित करता है । महात्मा नायक या आध्यात्मिक गुरु इसी श्रेणी में आते हैं ।
(3) वैधानिक सत्ता (Legal Authority)- इस सत्ता का प्रयोग करने वाले श्रेष्ठ सत्ता धारी कहलाते हैं ।
मैक्स वेबर द्वारा प्रस्तुत नौकरशाही के आदर्श प्रतिमान की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
(1) सभी कर्मचारियों के मध्य कार्यों का सुस्पष्ट विभाजन कर दिया जाता है ।
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(2) नौकरशाही संगठन में कार्य करने की निर्धारित प्रक्रिया होती है ।
(3) निर्धारित योग्यता वाले व्यक्तियों को ही संगठन में स्थान दिया जाता है ।
(4) नौकरशाही प्रणाली ‘पदसोपान पद्धति’ (Hierarchial Pattern) पर आधारित है । प्रशासनिक ढाँचा एक ‘पिरामिड’ (Pyramid) के रूप में होता है । आदेश के सूत्र ऊपर से नीचे की ओर प्रवाहित होते हैं प्रत्येक कार्य ‘उचित मार्ग से’ (Through Proper Channel) होता है ।
(5) पदाधिकारियों की भर्ती व पदोन्नति योग्यता के आधार पर की जाती है ।
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(6) कर्मचारियों का वेतन उनके स्तर सामाजिक स्थिति एवं कार्य आदि के आ धार पर तय किया जाता है ।
(7) निर्णय व्यक्तिगत आधार पर नहीं वरन् औचित्य के आधार पर लिये जाते हैं ।
(8) अधिकारिक रिकॉर्डों को औपचारिक रूप से रिकॉर्ड करके भविष्य के लिये सुरक्षित रख लिया जाता है ।
मैक्स वेबर के नौकरशाही प्रतिमान की आलोचना (Criticism of the Bureaucratic Model of Max Weber):
मैक्स वेबर के नौकरशाही प्रतिमान की आलोचना निम्नलिखित आधारों पर की जाती है:
(1) सामान्य इच्छा की उपेक्षा (Carelessness towards General Will):
आलोचकों के अनुसार वेबर के नौकरशाही प्रतिमान में मानव व्यवहार मानव सम्बन्ध मानवीय इच्छा जैसे तत्वों की अवहेलना की गई है । नौकरशाही में जन इच्छा की अपेक्षा वैधानिक नियमों को अधिक महत्व दिया जाता है ।
(2) बन्द प्रणाली प्रतिमान (Closed System Model):
नौकरशाही व्यवस्था सदैव नियमों व सिद्धान्तों पर दृढ़ रहती है, अत: इसे ‘बन्द प्रणाली प्रतिमान’ भी कहा जाता है । बाह्य तत्वों की उपेक्षा करने के कारण नौकरशाही को ‘मशीनी सिद्धान्त’ (Mechanical Theory) भी कहा जाता है ।
(3) निरंकुशता (Despotism):
नौकरशाही में अपनी पद-स्थिति के कारण निरंकुशता का भाव आ जाता है । वे नियमों व सिद्धान्तों के साथ अपनी बात पर अडिग रहते हैं । लॉड हीवर्ट ने अपनी पुस्तक ‘नवीन निरंकुशता’ (New Despotism) में इंग्लैण्ड की नौकरशाही का वर्णन किया है ।
(4) व्यावसायिक विकृति (Occupational Deformation):
रॉबर्ट के. मर्टन के अनुसार नौकरशाही संगठन में नियमों की कठोरता इस सीमा तक पाई जाती है कि व्यक्ति को अपने कार्य के प्रति मानसिक सन्ताप होने लगता है । वारनॉट ने इसे ‘व्यावसायिक विकृति’ का नाम दिया है ।
(5) लचीलेपन का अभाव (Lack of Flexibility):
नियमों व सिद्धान्तों में दृढ़ता के कारण संगठन में लचीलेपन का अभाव रहता है । अधिकारी अपने पूर्व-प्रशिक्षण को तो दृष्टिगत रखता है, किन्तु परिवर्तित परिस्थितियों की अवहेलना करता है । यही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी सिद्ध होती है ।
(6) औपचारिकता पर बल (Emphasize on Formality):
नौकरशाही नियमों के प्रति प्रतिबद्ध रहकर सभी के साथ समान व्यवहार करती है । किसी के भी साथ किसी भी आधार पर कोई भेद भाव नहीं किया जाता है ।
(7) शक्ति का दुरुपयोग (Misuse of Powers):
नौकरशाहों का नियन्त्रण पूरे प्रशासनिक तन्त्र पर होता है । ऐसे में वे नियमों को तोड़ने व मनमनी करने में भी कोई संकोच नहीं करते है । वे सरकारी मशीनरी का प्रयोग स्वहित में करने लगते हैं । साथ ही एक-दूसरे की त्रुटियों को छिपाने का भी प्रयास करते हैं ।
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(8) लाल फीताशाही (Red Tapism):
अधिकारीगण औपचारिकता में विश्वास करते हुए नियमों का कठोरता से पालन करते हैं जिसके कारण कार्य में विलम्ब होता है तथा महत्वपूर्ण निर्णय भी शील नहीं लिये जाते हैं । कर्मचारी तन्त्र मशीन की तरह बन जाता है, निर्णय क्षमता क्षीण हो जाती है तथा जनता के हितों की उपेक्षा की जाती है ।
(9) राजनीतिक हस्तक्षेप (Political Interference):
राजनीतिज्ञ अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिये विभिन्न तरीकों से हस्तक्षेप करते हैं । जैसे- कर्मचारियों का उत्पीड़न व स्थानान्तरण, जनवादी नीतियों की घोषणा आदि इन कार्यों के लिये राजनीतिज्ञों व प्रशासकों में परस्पर साँठ-गाँठ होती है । कर्मचारी उत्पीड़न व स्थानान्तरण से बचने के लिये राजनेताओं की चाटुकारिता में व्यस्त रहते हैं ।
उपर्युक्त आलोचनाओं के बावजूद मैक्स वेबर के नौकरशाही प्रतिमान को अद्वितीय स्थान प्राप्त है ।