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Read this article in Hindi to learn about:- 1. Meaning of Centralization 2. Arguments in Favour of Centralization 3. Merits 4. Demerits.
केन्दीकरण का अर्थ (Meaning of Centralization):
केन्द्रीकरण शासन की वह व्यवस्था है जिसमें शासकीय शक्ति संवैधानिक दृष्टि से नियमित व विधान द्वारा स्थानीय संस्थाओं को प्रदान न करके केन्द्रीभूत कर दी जाये । इस प्रकार की व्यवस्था में प्रत्येक शासकीय इकाई केन्द्रीय सत्ता की इच्छा से ही कार्य करती है त था केन्द्र के प्रति ही उत्तरदायी होती है ।
बाह्य आन्तरिक व सैनिक स भी क्षेत्रों में केन्द्र द्वारा निर्मित नियम ही लागू किये जाते हैं । एल. डी. ह्वाइट के अनुसार- ”सरकार के निम्न तल से उच्च तल की ओर प्रशासनिक सत्ता के स्थानान्तरण की प्रक्रिया को ‘केन्द्रीकरण’ कहा जाता है इसकी विपरीत प्रक्रिया को विकेन्द्रीकरण ।”
विलोबी ने केन्द्रीकरण को परिभाषित करते हुए लिखा है- ”अत्यधिक केन्द्रीकृत व्यवस्था में स्थानीय इकाइयाँ केवल कार्यवाहक अभिकरणों के रूप में कार्य करती हैं । उन्हें स्वयं कोई कार्य प्रारम्भ करने की शक्ति नहीं होती है….. प्रत्येक कार्य केन्द्रीय कार्यालय की ओर से किया जाता है ।”
केन्द्रीकरण के पक्ष में तर्क (Arguments in Favour of Centralization):
वर्तमान परिस्थितियाँ केन्द्रीकरण के पक्ष में हैं । केन्द्रीकरण के लिये उत्तरदायी परिस्थितियाँ निम्नांकित हैं:
1. राष्ट्रीय हितों की प्रेरणा (Inspiration for National Interests):
केन्द्रित व्यवस्था में जनता के लिए अपना ध्यान प्रशासन में केन्द्रित करना सरल हो जाता है और राष्ट्रीय हितों के प्रति जनसाधारण की चेतना बढ़ जाती है । वे क्षुद्र निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर सार्वजनिक एवं राष्ट्रीय हित की दिशा में सोचने लगते हैं ।
2. लोक प्रशासन का शास्त्रीय अध्ययन (Study of Public Administration as Discipline):
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जब किसी विषय को केन्द्रीय संरक्षण में रख दिया जाता है तो उसके केन्द्रीकरण की माँग बढ़ने लगती है । लोक प्रशासन के विषय में भी यह नितान्त सत्य है । लोक प्रशासन के शास्त्रीय अध्ययन ने इस प्रवृति को प्रोत्साहित किया है ।
3. यातायात के साधनों का प्रभाव (Effect of the Means of Communication):
यातायात व संचार के क्षेत्र में आयी क्रान्ति से दूरस्थ स्थित क्षेत्रों में भी निकटता आ गयी है । केन्द्रीय सरकार के लिये दूरवर्ती क्षेत्रों से सम्पर्क स्थापित करना एवं उनसे आदेशों का पालन कराना सरल हो गया है ।
4. वित्तीय सुविधा (Financial Facilities):
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स्थानीय संस्थाओं के वित्तीय साधन अपर्याप्त होने के कारण उन्हें वित्तीय सहायता हेतु केन्द्र पर आश्रित रहना पड़ता है केन्द्र आर्थिक सहायता के बदले अनेक शर्तें स्थानीय सरकारों के समक्ष रखता है । इससे केन्द्रीकरण की प्रवृत्ति को बल मिलता है ।
5. मितव्ययिता तथा कार्यक्षमता (Economy and Working Capacity):
वर्तमान में यह धारणा बलवती होती जा रही है कि प्रशासन में केन्द्रीय नियन्त्रण, निरीक्षण व नियमन से मितव्ययिता व कुशलता आती है । अमेरिका में सन् 1949 में ‘हूवर आयोग’ (Hoover Commission) ने एवं 1936 में ‘प्रशासनिक प्रबन्ध की राष्ट्रीय समिति’ (President Committee of Administrative Management) ने भी इसी तथ्य पर बल दिया ।
6. जटिल समस्याओं का समाधान सम्भव (Solution of Complicated Problems Possible):
सुरक्षा एवं आर्थिक नियोजन जैसी जटिल समस्याओं का समाधान केन्द्रीय शासन के माध्यम से ही सम्भव हो सकता है । दृढ़ केन्द्रीय शासन एवं सुनियोजित अर्थतन्त्र ही शत्रु का सामना करने में सक्षम सिद्ध हो सकते हैं । योजनाबद्ध आर्थिक विकास के लिये सुदृढ़ केन्द्रीय शासन वांछनीय है ।
केन्द्रीकरण के गुण (Merits of Centralization):
केन्द्रीकरण में पाये जाने वाले गुणों के कारण ही इसकी लोकप्रियता में निरन्तर वृद्धि हो रही है ।
ये गुण निम्नलिखित हैं:
1. कर्मचारियों की नियुक्ति देखभाल कर की जाती है जिसके कारण कर्मचारी योग्य व दक्ष होते हैं ।
2. सम्पूर्ण देश में एक-सी नीति का पालन किया जाता है । अत: प्रशासनिक एकरूपता बनी रहती है ।
3. सभी योजनाओं का निर्माण प्रशासनिक अधिकारी की देख-रेख में किया जाता है । अत: सभी योजनाओं की क्रियान्विति सरलतापूर्वक बिना किसी विलम्ब के सम्भव हो पाती है ।
4. केन्द्रीकृत व्यवस्था प्रशासन को प्रभावी नियन्त्रण में रखती है । साथ ही अकर्मण्यता व धन का अपव्यय जैसी बुराइयों से भी बचाती है ।
5. इस व्यवस्था में भ्रष्टाचार की सम्भावना भी बहुत कम होती है । इसमें धन का दुरुपयोग, पक्षपात एवं भाई-भतीजावाद जैसी बुराइयाँ नहीं पनप पाती हैं ।
6. आदेशों व सूचनाओं का पालन समुचित रूप से किया जाता है जो कि समन्वय-प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाता है ।
7. संकटकाल के लिये केन्द्रीकृत व्यवस्था सर्वाधिक अनुकूल है क्योंकि निर्णय शीघ्रता से लिये जा सकते हैं ।
केन्द्रीकरण के दोष (Demerits of Centralization):
केन्द्रीकरण के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं:
1. संगठन की समस्त शक्ति एक ही जगह केन्द्रित होती है जिससे कि कार्यभार इतना अधिक बढ़ जाता है कि कर्मचारियों के मानसिक सन्तुलन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है ।
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2. केन्द्र का कार्यभार अत्यधिक होने के कारण प्रशासन में अकुशलता आ जाती है ।
3. क्षेत्रीय समस्याओं का पर्याप्त ज्ञान नहीं हो पाता है, अत: वे समस्याएँ ज्यों-की-त्यों बनी रहती हैं ।
4. प्रशासनिक नियमों में कठोरता आ जाती है ।
5. लाल फीताशाही व निरंकुशता का दोष उत्पन्न हो जाता है ।
6. केन्द्रीकरण में स्थानीय हितों की उपेक्षा की सम्भावना बनी रहती है ।