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Read this article in Hindi to learn about:- 1. Definition of Formal Organisation 2. Chief Characteristics of Formal Organization 3. Advantages 4. Disadvantages.
औपचारिक संगठन की परिभाषा (Definition of Formal Organisation):
विभिन्न विद्वानों ने ‘औपचारिक संगठन’ को निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया है:
बर्नार्ड के अनुसार- ”औपचारिक संगठन के अन्तर्गत संयन्त्र की पद्धति नीतियाँ व नियम सम्मिलित होते हैं जो यह अभिव्यक्त करते हैं कि तकनीकी उत्पादन के कार्य की प्रभावी ढंग से पूर्ति के लिये एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति के साथ क्या सम्बन्ध होगा । यह मानव संगठन तथा तकनीकी संगठन के मध्य अपेक्षित सम्बन्धों को निर्धारित करता है ।”
साइमन स्मिथवर्ग तथा ऑम्पसन के अनुसार- ”औपचारिक संगठन वह है जिसमें व्यवहार तथा सम्बन्धों को जानबूझकर औचित्य के आधार पर संगठन के सदस्यों के लिए योजनाबद्ध कर दिया जाता है ।”
एल. डी. ह्वाइट के कथनानुसार- ”यह सम्बन्धों की एक औपचारिक घोषित प्रतिकृति है जो शासन में विधि तथा उच्चतम प्रबन्ध द्वारा स्थापित की जाती है । यह किये जाने वाले कार्य की प्रकृति एवं मात्रा पर आधारित है । इसे चित्र या रेखाचित्र पर अंकित किया जा सकता है भले ही वह परिपूर्ण न हो ।”
औपचारिक संगठन के प्रमुख समर्थक विद्वान हैं- फ्रेडरिक टेलर, उर्विक, लूथर गुलिक, हेनरी फेयोल, मैक्स वेबर एवं आदि ।
औपचारिक संगठन की प्रमुख विशेषताएँ (Chief Characteristics of Formal Organization):
औपचारिक संगठन की प्रमुख विशेषताएँ (Chief Characteristics of Formal Organization) औपचारिक संगठन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. औपचारिक संगठन स्वेच्छापूर्वक निर्मित किया जाता है तथा यह पूर्णतया निर्वैयक्तिक होता है ।
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2. संगठन की अपनी नियमावली होती है जिसके आधार पर प्रत्येक सार पर कार्यों उत्तरदायित्वों एवं शक्तियों का विभाजन किया जाता है ।
3. इसमें ‘प्रत्यायोजन के सिद्धान्त’ एवं ‘आदेश की एकता’ का पालन किया जाता है ।
4. औपचारिक संगठनों को कानूनी मान्यता प्राप्त होती है ।
5. इसमें कार्य-विभाजन स्पष्ट रूप से किया जाता है ।
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6. औपचारिक संगठन अन्य संगठनो की अपेक्षा अधिक स्थायी होते हैं ।
औपचारिक संगठन के लाभ (Advantages of Formal Organization):
हेन्म एवं मैसी के अनुसार, औपचारिक संगठनो से होने वाले प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
1. इस संगठन में नियमों के द्वारा नियोजन होने के कारण कार्यों का दोहराव नहीं होता है ।
2. अधिकारों व उत्तरदायित्वों की स्पष्ट व्याख्या होने के कारण संगठन के कर्मचारी न तो कार्यों की उपेक्षा कर पाते हैं और न ही आपसी मतभेद की कोई सम्भावना रहती है ।
3. उत्तरदायित्व निश्चित होने के कारण कर्मचारियों के मध्य का अन्तर भी स्वत: समाप्त हो जाता है ।
4. इस प्रकार के संगठन में किसी भी व्यक्ति को विशेष या अत्यधिक महत्व की स्थिति प्राप्त नहीं होती है ।
5. इसमें कार्यों के सही प्रमापों (Measurement) का निर्धारण अच्छी प्रकार से किया जा सकता है ।
6. कार्यों व दायित्वों का स्पष्ट विभाजन होने के कारण कर्मचारियों में सुरक्षा की भावना बनी रहती है ।
7. औपचारिक संगठन में उद्देश्यों की प्राप्ति का मार्ग सरल होता है ।
8. इसमें अवसरवादिता एवं पक्षपात के अवसर भी नहीं रहते हैं ।
औपचारिक संगठन की हानियाँ (Disadvantages of Formal Organization):
आलोचकों के अनुसार औपचारिक संगठन में निम्नलिखित दोष या कमियाँ देखने को मिलती हैं:
1. संगठन के इस रूप में मानवीय तत्व की उपेक्षा की गई है । यह संगठन यंत्रवत् होते हैं जिनमें मनुष्यों की अपेक्षा नीतियों को अधिक महत्व दिया जाता है ।
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2. औपचारिक संगठन में ‘पहल शक्ति’ (Initiative Power) समाप्त हो जाती है ।
3. इस प्रकार के संगठन में कार्यरत व्यक्ति अन्य सामाजिक संगठनों की मान्यताओं एवं भावनाओं की उपेक्षा के अ इपस्त हो जाते हैं ।
4. औपचारिक संगठन अनौपचारिक सम्प्रेषण में बाधाएँ उत्पन्न करता है ।
5. इस संगठन में समन्वय की समस्या भी बनी रहती है ।
6. औपचारिक संगठन के अधिकारी कई बार अपने अधिकारों का प्रयोग स्वहित में करते हैं ।