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Read this article in Hindi to learn about:- 1. Meaning and Definitions of Public Relations 2. Needs and Functions of Public Relations 3. Functions 4. Means 5. Public Relations Machinery in India.
Contents:
- जन सम्पर्क अथवा लोक सम्पर्क का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Public Relations)
- लोक सम्पर्क की आवश्यकता एवं कार्य (Needs and Functions of Public Relations)
- लोक सम्पर्क विभाग के कार्य (Functions of Public Relation Department)
- लोक सम्पर्क के साधन (Means of Public Relations)
- भारत में लोक सम्पर्क के यन्त्र (Public Relations Machinery in India)
1. जन सम्पर्क अथवा लोक सम्पर्क का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Public Relations):
आधुनिक लोक कल्याणकारी राज्य में प्रशासन की सफलता इस तथ्य पर अवलम्बित होती है कि जनमत अथवा लोकमत किस सीमा तक प्रशासन के समर्थन में है ? जनता को जब तक सरकारी नीतियों व योजनाओं का ज्ञान नहीं हो जाता तब तक जनता के समर्थन या विरोध का प्रश्न निराधार है ।
अत: लोक प्रशासन का यह पुनीत कर्त्तव्य है कि वह प्रशासनिक नीतियों योजनाओं एवं कार्य संचालन के सम्बन्ध में जनता की राय जान ले । प्रशासनिक त्रुटियों को सुधारना एवं प्रशासन को जन-इच्छाओं के अनुकूल एवं लोकहितकारी बनाना भी लोक प्रशासन का दायित्व है ।
लोक सम्पर्क से तात्पर्य प्रशासनिक कार्यों की सूचना मात्र नहीं है । यह केवल एक प्रचार मात्र भी नहीं है । विभिन्न विद्वानों के द्वारा प्रस्तुत परिभाषाओं के आधार पर इसे सही रूप में समझा जा सकता है ।
एपली के अनुसार- ”विभिन्न जन समूहों के मत को प्रभावित करने के लिए एक संगठन जो भी कार्य करता है, वह सब लोक सम्पर्क है ।”
जे. एल. मैकेंजी के कथनानुसार- ”प्रशासन में लोक सम्पर्क अधिकारी वर्ग तथा नागरिकों के बीच पाये जाने वाले प्रधान एवं गौण सम्बन्धों तथा इन सम्बन्धों द्वारा स्थापित प्रभावों एवं दृष्टिकोणों की परस्पर क्रियाओं का मिश्रण है ।”
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रेक्स हार्लो लिखते हैं- ”लोक सम्पर्क एक विज्ञान है जिसके द्वारा एक संगठन यथार्थ रूप में अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों को पूर्ण करने तथा सफलता के लिए आवश्यक जनस्वीकृति एवं अनुमोदन प्राप्त करने का प्रयास करना है ।”
मिलेट के अनुसार- ”जनता की इच्छाओं व आवश्यकताओं के बारे में जानकारी प्राप्त करना जनता को सलाह देना कि उसे क्या कामना करनी चाहिए तथा जनता व लोक सेवकों के बीच उचित सम्बन्ध स्थापित करना ही लोक सम्पर्क है ।”
संक्षेप में कहा जा सकता है कि लोक सम्पर्क जनता को सरकारी क्रियाकलापों से परिचित कराने की वह नीति है जिसमें प्रशासन जनता की राय या मत जानने के बाद स्वयं को जन इच्छाओं के अनुकूल ढालने का प्रयास करता है ।
2. लोक सम्पर्क की आवश्यकता एवं कार्य (Needs and Functions of Public Relations):
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लोक सम्पर्क की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से उत्पन्न होती है:
(1) आधुनिक लोक कल्याणकारी राज्य में राज्य के कार्य क्षेत्र में अत्यधिक वृद्धि हो गयी है राज्य जनता को बहुत-सी सेवाएँ उपलब्ध कराता है । जनता का उन सेवाओं से परिचित होना आवश्यक है ।
(2) लोक आलोचना से प्रशासनिक नीतियों की रक्षा करने के लिए जनता से घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित करना आवश्यक है ।
(3) आज प्रशासकीय कर्मचारियों का कार्य क्षेत्र सरकारी नीतियों के कर्यान्वयन तक ही सीमित नहीं है वरन् जनता को उन नीतियों से परिचित कराना भी उनके कार्य क्षेत्र में आता है ।
(4) प्रशासकीय अधिकारियों को अपनी नीतियाँ व योजनाएँ जनता के समक्ष इस प्रकार से प्रस्तुत करनी चाहिए कि वे जनता के लिए ग्राह्य हो जायें । जन- समर्थन के उपरान्त ही उनकी क्रियान्विति सम्भव हो सकेगी ।
3. लोक सम्पर्क विभाग के कार्य (Functions of Public Relation Department):
लोक सम्पर्क निम्नलिखित उद्देश्यों से किया जाता है अथवा लोक सम्पर्क विभाग द्वारा निम्नलिखित कार्य किये जाते हैं:
(1) विभिन्न प्रचार माध्यमों के द्वारा जनता को सरकारी नीतियों से अवगत कराया जाता है ।
(2) आपदाओं एवं संकटों का सामना करने के लिए जनता को प्रशिक्षित किया जाता है ।
(3) सरकार अपने विभिन्न विभागों की लोकोपयोगी सूचनाओं को प्रचारित प्रसारित कराती है जिससे कि लोकमत को अपने पक्ष में रखा जा सके ।
(4) जटिल व तकनीकी भाषा से युक्त नियमों व कानूनों को समझने में जनता असमर्थ रहती है अत: लोक सम्पर्क विभाग उन्हें सरल भाषा में समझाने का प्रयास करता है ।
(5) उद्योगों में निर्मित माल के विक्रय हेतु विज्ञापन की आवश्यकता होती है । यह कार्य भी लोक सम्पर्क विभाग करता है ।
(6) सरकार की उपलब्धियों की जानकारी जनता तक पहुँचाना एवं जनता की भ्रान्तियों का उन्मूलन भी लोक सम्पर्क के माध्यम से ही सम्भव हो पाता है ।
4. लोक सम्पर्क के साधन (Means of Public Relations):
लोक सम्पर्क स्थापित करने के प्रमुख साधन या माध्यम निम्नलिखित हैं:
(1) सार्वजनिक भाषणों एवं जन सम्पर्क दौरों के माध्यम से ।
(2) विभिन्न योजनाओं व उपलब्धियों से सम्बन्धित प्रदर्शनियाँ लगाकर ।
(3) अन्वेषण व मत सर्वेक्षण द्वारा । भारत में ‘कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन’ के द्वारा जन प्रतिक्रियाएं जानने का प्रयास किया जाता है ।
(4) कार्यक्रमों व योजनाओं को प्रकाशित कराकर ।
(5) समाचार चलचित्रों (News Reels), वृत्त चित्र (Documentary Films) एवं मूक चलचित्रों (Dumb-Films) के द्वारा ।
(6) आकाशवाणी, रेडियो व दूरदर्शन के माध्यम से ।
(7) जनता व अधिकारियों के मध्य पत्राचार के द्वारा ।
5. भारत में लोक सम्पर्क के यन्त्र (Public Relations Machinery in India):
भारत में लोक सम्पर्क का दायित्व ‘सूचना व प्रसारण मन्त्रालय’ के हाथों में निहित है । राज्यों में यह दायित्व ‘सूचना एवं प्रसारण निदेशालय’ द्वारा निभाया जाता है ।
‘सूचना व प्रसारण मन्त्रालय’ निम्नलिखित कार्यालयों की सहायता से अपने दायित्वों की पूर्ति करता है:
(1) विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार का निदेशालय (Directorate of Advertising and Visual Publicity),
(2) महानिदेशालय आकाशवाणी, नई दिल्ली (Directorate General of All India Radio, New Delhi),
(3) फिल्म संभाग, मुम्बई (Film Division, Mumbai),
(4) फिल्म सेंसर का केन्द्रीय बोर्ड (Central Board for Film Censors),
(5) अनुसन्धान तथा संदर्भ प्रभाग (Research and Reference Division),
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(6) प्रेस सूचना ब्यूरो (Press Information Bureau),
(7) भारतीय समाचार-पत्रों के रजिस्ट्रार का कार्यालय (Office of the Registrar of Newspaper),
(8) पंचवर्षीय योजना का प्रसार कार्यालय (Office of the Five Years Plan Extensions),
(9) प्रकाशन विभाग (Publication Division) ।
लोक सम्पर्क के माध्यम से शासन को सफल व स्थायी बनाया जा सकता है, लेकिन लोक सम्पर्क के मार्ग की बहुत-सी बाधाएं हैं यथा-जनता की निरक्षरता, जनता की उदासीनता, धन की अपर्याप्तता, राजनीतिक स्वार्थपरता आदि । इन बाधाओं के निराकरण द्वारा एवं सत्यता व प्रमाणिकता के मार्ग का अनुकरण करके लोक सम्पर्क को सफल बनाया जा सकता है ।