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Read this article in Hindi to learn about the study of public administration in various countries.
अमेरिका:
अन्य देशों की अपेक्षा अमेरिका में लोक प्रशासन का विकास एक अध्ययन विषय के रूप में कहीं अधिक हुआ है । यहाँ अनेक विश्वविद्यालयों में इसे एक स्वतन्त्र अनुशासन के रूप में स्थापित किया गया है । स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर एक विषय के रूप में इसके अध्ययन को मान्यता प्रदान की गई है ।
इसके अतिरिक्त, लोक प्रशासन, औद्योगिक प्रशासन एवं लोक प्रबन्ध क्षेत्रों में शोध कार्य को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है । अमेरिका में प्रशासन का विकास एक विज्ञान के रूप में किया गया है कोलम्बिया विश्वविद्यालय से सम्बद्ध संस्थान स्नातक स्तर पर लोक प्रशासन के अध्ययन को प्रोत्साहित कर रहे हैं । शिकागो एवं न्यूयॉर्क स्थित संस्थान भी लोक प्रशासन के क्षेत्र में शोधकार्य को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुए हैं ।
इंग्लैण्ड:
ब्रिटिश मान्यता के अनुसार- ‘पोस्डकॉर्ब’ को आधार बनाकर तैयार किया गया पाठ्यक्रम नीरस एवं अव्यवहारिक होगा । प्रशासन के अध्ययन को लाभदायक एवं उपयोगी बनाने के लिये इसे अनिवार्य रूप से इतिहास, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र एवं राजनीति विज्ञान से सम्बद्ध किया जाना चाहिये इस प्रकार अन्त-अनुशासन दृष्टिकोण के द्वारा ही यथार्थ ज्ञान तक पहुंचा जा सकता है ।
इंग्लैण्ड में इन सभी विषयों से लोक प्रशासन सम्बन्धी अंशों को लेकर पाठ्यक्रम तैयार किया गया है । इंग्लैण्ड के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में प्रशासन में स्नातक व स्नातकोत्तर उपाधियाँ प्रदान की जाती हैं । ‘लन्दन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स एण्ड पॉलिटिक्स’ (London School of Economics and Politics) प्रशासन के अध्ययन के क्षेत्र में उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा है ।
भारत:
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स्वतन्त्रता से गर्व भारत में लोक प्रशासन के अध्ययन की सुविधाएं प्राय: नगणय थीं । स्नातकोत्तर स्तर पर लोक प्रशासन का अध्ययन राजनीति विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता था । सन् 1945 में लखनऊ विश्वविद्यालय ने लोक प्रशासन में एक डिप्लोमा कोर्स आरम्भ किया जिसे 1959 में डिग्री कोर्स में परिवर्तित कर दिया गया ।
1950 में डॉ. एम. पी. शर्मा के प्रयासों से नागपुर विश्वविद्यालय ने लोक प्रशासन के एक स्वतन्त्र स्नातकोत्तर विभाग की स्थापना की । इसके बाद भारत के अन्य विश्वविद्यालयों में भी लोक प्रशासन को एक स्वतन्त्र अध्ययन विषय के रूप में पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया ।
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सन् 1954 में डॉ. पॉल एपिलबी की सिफारिश पर ‘इंडियन इन्स्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन’ की स्थापना की गई । इस संस्थान ने लोक प्रशासन के विभिन्न क्षेत्रों में शोध कार्य सम्पन्न कराने में अग्रणी भूमिका निभाई है । यह संस्थान एक नियमित जर्नल प्रकाशित करने के साथ ही समय-समय पर प्रशासकीय महत्व के प्रकाशन करता आया है ।
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सन् 1947 में हैदराबाद में स्थापित ‘प्रशासकीय स्टाफ कॉलेज’ (Administrative Staff College) में सरकारी व गैर-सरकारी उच्च पदाधिकारियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है । आई.ए.एस (I.A.S.) वर्ग के प्रशिक्षण हेतु 1949 में मसूरी में ‘प्रशासन की राष्ट्रीय अकादमी’ (National Academy of Administration) की स्थापना की गई राजस्थान में लोक प्रशासन एक अत्यधिक लोकप्रिय विषय है ।
सन् 1987 में लोक प्रशासन को सिविल सेवा परीक्षा के वैकल्पिक विषयों की सूची में सम्मिलित किये जाने से की । लोकप्रियता में बहुत अधिक वृद्धि हुई है । अनेक राज्यों के लोक सेवा आयोगों ने भी इसका अनुकरण किया ।
यह अपेक्षा की जाती है कि भारत में लोक प्रशासन का भविष्य उज्वल है । भारत में इसका अस्तित्व एक ‘शैक्षणिक विषय’ के रूप में है, जबकि अमेरिका में इस विषय ने अपनी व्यावसायिक पहचान स्थापित की है । लोक प्रशासन का पाठ्यक्रम क्या हो ? यह भी एक विवाद का विषय रहा है ।
अमेरिकी पाठ्यक्रम इसे तकनीकी विषय बनाता है, जबकि ब्रिटिश पाठ्यक्रम में विषय-वस्तु की व्यापकता पर जोर दिया गया है । आज लगभग सभी देशों में लोक प्रशासन के विशिष्ट होने की अपेक्षा इसके समन्वित पाठ्यक्रम पर बल दिया जा रहा है ।